अनुमति के बिना एक प्रिय कारखाने का दिलहीन विनाश
यह शीर्षक एक कहानी की ओर इशारा करता है जिसमें बिना अनुमति के एक प्रिय कारखाने का विनाश हुआ है। यह घटना न केवल कानूनी और नैतिक मुद्दों को उजागर करती है, बल्कि इससे जुड़े लोगों की भावनाओं और समुदाय पर इसके प्रभाव को भी दर्शाती है। क्या आप इस विषय पर और जानकारी या विशिष्ट विवरण साझा करना चाहेंगे?
वर्ष 1976 में स्थापित किए गए बालकों कारखाने के अभिन्न भाग एल्युमीना रिफाइनरी का नामोनिशान कोरबा की धरती से अंततः मिटा ही दिया गया |
यह तथ्य हालांकि जांच करने योग्य है, कि एल्युमीना रिफाइनरी को बंद करने ,ध्वस्त करने और काट कर कबाड़ मे बेच कर करोड़ों रुपये अर्जित करने की अनुमति सरकार द्वारा प्राप्त की गई या नहीं, परंतु विकास के लिए विनाश जरूरी है, यह सबक जरूर बालकों के वेदांता प्रबंधन के अधिकारियों द्वारा कोरबा की जनता को दे दिया गया है|
ऐतिहासिक परंपराओं और धरोहरों को ध्वस्त करने के, मिशन में, वेदांता प्रबंधन के अधिकारियों को एक मेडल और मिल गया है | वेदांता प्रबंधन के गौरवपूर्ण कृत्यों के बारे मे जानने के लिए पूर्व मे प्रकाशित लेख https://www.media-samvad.com/post/एतिहासिक-वेतन-समझ-ता-सुनहरी-विरासत-का-अंत पढ़ें |
जिला इंटक संगठन द्वारा जारी कलेक्टर कोरबा को पत्र एवं जारी प्रेस विज्ञप्ति मे इस कारखाने के ध्वस्त किए जाने के बारे मे कुछ गंभीर तथ्य और कानूनी अनियमितताएं उजागर की गई हैं|
दिनांक 13/07/2024 को जारी प्रेस विज्ञप्ति मे जिला इंटक अध्यक्ष द्वारा आरोप लगाया गया है कि:
1. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अधिनिर्णय Case no. (civil) 8 of 2001, Balco Employees Union vs Union of India & ors. में para 4 , पृष्ठ 22 के अनुसार बालकों प्रबंधन द्वारा उक्त कारखाना बंद करने कि अनुमति id ऐक्ट के 25(o) के तहत प्राप्त नहीं की गई है , अतः बिना अनुमति लिए कारखाने को बंद कर ध्वस्त करना अवैधानिक है| एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्पष्ट उनलंघन है|
2. ज्ञात हो कि वर्ष 2015 मे बालकों प्रबंधन द्वारा srs को बंद करने का आवेदन राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया था, जिसे राज्य सरकार द्वारा id ऐक्ट की धारा 25(o) के तहत निरस्त कर दिया था |
3. एल्युमीना रिफाइनरी मे कार्य करने वाले श्रमिकों के भुगतान और रोजगार से संबधित प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय , बिलासपुर मे लंबित है |
4. स्टरलाइट (वेदांता) एवं सरकार के बीच हुए शेहोल्डर समझौते की कंडीका 4.5 एवं आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन की कंडीका 73,के तहत किसी भी भाग को बंद करने और बेचने से पहले राष्ट्रपति की अनुमति आवश्यक है |
इस संबंध मे यह भी उल्लेखनीय है कि एक स्थानीय पार्षद और एक अधिवक्ता द्वारा बालकों कि विस्तार परियोजना की स्थापना के लिए घोषित जमीन की गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था, पार्षद एवं अधिवक्ता द्वारा शासन को लिखे गए पत्रों मे स्पष्ट उल्लेख किया था कि बालकों प्रबंधन विस्तार परियोजना की स्थापना की आड़ मे एल्युमीना रिफाइनरी को ध्वस्त कर उस जमीन का अपनी विस्तार परियोजना में उपयोग करेगा | परंतु शासन द्वारा स्थानीय पार्षद एवं अधिवक्ता की शिकायत पर क्या जांच और कार्यवाही की है , इसकी सूचना अभी तक अप्राप्त है|
उपरोक्त स्पष्ट एवं विधिक प्रावधान रहने के बाद भी एक कारखाने को ,अवैधानिक रूप से बंद कर , इस कारखाने के नाम से आबंडीत बाकसाइट को अन्यत्र भेज कर, श्रमिकों का रोजगार छीनकर, और सारे नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाकर , वेदांता प्रबंधन द्वारा ध्वस्त कर कबाड़ मे बेचकर करोड़ों रुपये की राशि अर्जित की है |
जिला इंटक , कोरबा द्वारा लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर हैं और कानूनी अनियमितताओं एवं गंभीर भ्रष्टाचार कि ओर संकेत करते हैं , जिला इंटक द्वारा लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों पर वैधानिक कार्यवाही होनी चाहिए |
फिलहाल, कोरबा की भोली-भाली जनता के जन-प्रथिनिधियों पर यह बात सच प्रतीत लगती है :
“कारवां गुजर गया ,गुबार देखते रहे”
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