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Media Samvad Editor

उद्योगपति या श्रमिक (क्या होगी प्राथमिकता?)

छत्तीसगढ़  प्रदेश सरकार के द्वारा नई उद्योग नीति बनाने की घोषणा की गई है और इस संबंध में मीडिया से चर्चा करते हुए प्रदेश के उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन द्वारा बताया गया


 उद्योग एवं श्रम मंत्री (छत्तीसगढ़) , लखन लाल देवांगन
प्रदेश की उद्योग नीति का ड्राफ्ट जुलाई 31 तक होगा पेश

छत्‍तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति 2024-29 का पहला ड्राफ्ट 31 जुलाई तक तैयार हो जाएगा। नई औद्योगिक नीति के लिए उद्योग संगठनों से विचार-विमर्श कर सुझाव लिए जा रहे हैं।


प्रदेश के 20 अलग-अलग उद्योग संघों से अब तक सुझाव लिए जा चुके हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों के उद्योग नीति का भी विभाग की ओर से अध्ययन किया जा रहा है। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और उद्योगपतियों को प्रदेश में निवेश प्रोत्साहन बढ़ाने की दिशा में जोर दिया जा रहा है।


प्रदेश में उद्योग नीति का समयबद्ध  नवीनीकरण करने मंत्रीजी  का सार्थक प्रयास स्वागतेय है|

सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने के बाद पहली बार किसी सरकार में उद्योग एवं श्रम मंत्रालय का प्रभार किसी एक ही  मंत्री को दिया गया है | प्रदेश के पार्टी हाईकमान द्वारा अन्य कई कद्दावर और वरिष्ठ विधयाकों को दरकिनार  कर , लखन लाल देवांगन पर पूर्ण विशवास दिखाते हुए उन्हें दोनों विभाग का मंत्री बनाया गया है|


हालाँकि यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा  कि उद्योगपति और श्रमिक दोनों से संबंधित विभागों  का संचालन एक ही मंत्री को सौंपने का प्रयोग कहाँ तक सफल होगा , और इसमें  उद्योगपतियों और श्रमिकों में से  किस वर्ग की प्राथमिकता लखन लाल देवांगनजी के लिए रहेगी|


उल्लेखनीय है कि  मंत्री लखन लाल देवांगन को कई श्रमिक संगठनों एवं श्रमिकों द्वारा राज्य में औद्योगिक संबंध अधिनियम विलोपित कर औद्योगिक विवाद अधिनियम लागू करने की बधाई दी गई थी|


परन्तु क्या उपरोक्त अधिनियम के प्रावधानों से किसी प्रकार का लाभ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राज्य में कार्यरत कर्मियों और श्रमिकों को मिल पाया है|


क्या श्रमिक संघ औद्योगिक विवाद अधिनियम के प्रावधानों का प्रयोग कर उद्योगपतियों द्वारा किये जा रहे अनुचित श्रम प्रक्रिया को रोक पा रहे हैं|


विश्वस्त सूत्रों की मानें तो कई जन-प्रतिनिधि भी, मंत्रीजी का आशीर्वाद प्राप्त कर, श्रमिक संगठनों के नेता बनने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं|


माननीय मंत्री जी को विगत कुछ दिन पहले  सोशल – मीडिया के माध्यम से न्यूनतम वेतन में महंगाई भत्ता बढाने के लिए बहुत धन्यवाद एवं बधाई प्रेषित की गई थीं, परन्तु शायद इस तरह का प्रचार -प्रसार करने वाले, इस तथ्य से अनजान हैं कि महंगाई भत्ता प्रतिवर्ष दो बार बढाया जाता है और यह प्रक्रिया संवैधानिक है और विगत तीन दशकों से प्रभावशील है |


जिस तरह से मंत्री जी उद्योग नीति के पुनर्निर्धारण के लिए समयबद्ध प्रयासरत हैं , क्या उन्हें यह जानकारी नहीं है, कि न्यूनतम वेतन का पुनर्निर्धारण भी प्रति पांच वर्ष में किया जाना अधिनियम में उल्लेखित है |

डा. रमन सिंह (पूर्व मुख्यमंत्री )छत्तीसगढ़
पिछला न्यूनतम वेतन पुनर्निर्धारण वर्ष 2017 में किया गया था

ज्ञात हो कि राज्य में पिछला न्यूनतम वेतन पुनर्निर्धारण वर्ष 2017 में डा. रमन सिंह के नेतृत्व गया था एवं तत्कालीन श्रम मंत्री श्री भैया लाल रजवाड़े थे |


तदुपरांत न्यूनतम वेतन का पुनर्निर्धारण वर्ष 2023 से लंबित है|


यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि मंत्री जी की अपनी कार्य के प्रति प्रतिबद्धता और सरल एवं विनम्र व्याक्तित्व, का लाभ, सिर्फ उद्योपतियों को ही मिलेगा या फिर प्रदेश के मेहनतकश श्रमिकों के ऊपर भी उनका आशीर्वाद बरसेगा|



मीडिया संवाद द्वारा अगला लेख न्यूनतम वेतन का देश/राज्य में जमीनी सत्य, पढने के लिए कृपया चैनल को सब्सक्राइब करें ताकि हमारी टीम जमीनी सत्यता आप तक पहुँचाने में और सशक्त हो|



Disclaimer (लेखक द्वारा प्रकाशित खबर सूत्रों एवं तथ्यों पर आधारित है , यदि किसी व्यक्ति/समाज/संगठन को उपरोक्त लेख में कोई  शब्द/वाक्य आपत्तिजनक लगे तो वह हमें saursujla99@gmail.com पर संपर्क कर विवरण भेज सकता है, भेजे हुए विवरण का प्रेस काउंसिल आफ इंडिया की मागदर्शिका अनुसार  हमारे  सम्पादकीय दल द्वारा विश्लेषण एवं जांच उपरांत जांच रिपोर्ट प्रेषित किया जाएगा और जांच अनुसार  प्रकाशित लेख की पुनः विवेचना कर प्रकाशित किया जा सके) 

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