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गायब हुई संपत्ति: बालको की ज़मीन और कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार का पर्दाफाश- भाग 2

  • Media Samvad Editor
  • Sep 21, 2024
  • 3 min read

गायब होती ज़मीन: बालको की 944 एकड़ और संदेहास्पद ऋण

बालको की ज़मीन से जुड़े वित्तीय लेन-देन में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पहले लेख में बालको की 1136 एकड़ ज़मीन के अवमूल्यन के बाद, अब यह सामने आया है कि 944 एकड़ मूल्यवान भूमि भी छत्तीसगढ़ में संदेहास्पद तरीके से गिरवी रखी गई है । यह और भी गंभीर सवाल खड़े करता है कि बालको के विनिवेश और बैंकिंग प्रणाली की वैधता कितनी सशक्त है।


944 एकड़ की कहानी

944 एकड़ जमीन के ऋण के तथ्य और दिलचस्प हैं , और खुले आम भ्रष्टाचार और कारपोरेट ताकत के सामने नतमस्तक सरकारी सिस्टम की सत्यता उजागर करते हैं | इन तथ्यों को नीचे दी गई टाइम-लाइन से समझें |

1.   दिनांक 13-02-2009 : 944 एकड़ जमीन, बैंक के पास बंधक रखी जाती है और बैंक से 500 करोड़ का ऋण प्राप्त किया जाता है |

2.  दिनांक 23-03-2012, समय 12:40:27.00: लगभग तीन साल बाद सरकारी पोर्टल CRESAI पर इस भूमि का चार्ज पंजीकृत किया जाता है|

3.  दिनांक 25-09-2013, समय 11:59:31. : 944 एकड भूमि पर लगे हुए चार्ज में परिवर्तन किया जाता है और ऋण बढ़कर 1000 करोड़ हो जाता है |

 

यह भूमि भी एक इक्विटेबल माडगेज  के तहत Vistra ITCL (India) Limited द्वारा गिरवी रखी गई है , जिसमें सरकार के माइनिंग विभाग के अनुसार कोई भी उचित टाइटल डीड या स्पष्ट स्वामित्व अधिकार नहीं थे, ठीक उसी तरह जैसे पहले 1136 एकड़ भूमि के मामले में था। उचित कानूनी दस्तावेज़ों की अनुपस्थिति के बावजूद, बालको ने इस संपत्ति के खिलाफ पहले 500 करोड़ और फिर बढ़ाकर ₹1,000 करोड़ का ऋण प्राप्त किया।

1136 एकड़ की कहानी की पुनरावृत्ति

इस मामले को पहले मामले से मिलाते हैं , पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का पूर्ण अभाव है। बालको के विनिवेश के दौरान इस 944 एकड़ भूमि को मूल्यांकन में शामिल नहीं किया गया, जैसे कि 1136 एकड़ के मामले में किया गया था। वही कानूनी खामियाँ यहां भी सामने आती हैं: जिस जमीन का मूल्यांकन स्वयं सरकार के वित्त एवं खदान मंत्रालय द्वारा शून्य रखा गया हो, फिर भी उस भूमि पर राष्ट्रीयकृत बैंकों से करोड़ों का ऋण मिल जाना किसी सपने या किसी मूवी को देखने जैसा लगता है |


एक बार फिर, हम पाते हैं कि सार्वजनिक संपत्तियाँ—मूल्यवान ज़मीनें जो विनिवेश के दौरान बालको के मूल्यांकन को बढ़ा सकती थीं—को नजरअंदाज कर दिया गया, और बाद में इन्हें वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण के लिए गिरवी रखा गया। यह एक चुनिंदा लोगों के फायदे के लिए सार्वजनिक संसाधनों के अवमूल्यन का संकेत देता है।


असंतुष्ट बंधक

पहले मामले की तरह, इस ऋण की संतोष स्थिति  “ NOT SATISFIED  सूचीबद्ध है, जिसका मतलब है कि भूमि पर ऋण अभी भी सक्रिय और अनसुलझा है। यह सार्वजनिक संपत्तियों के प्रबंधन पर सवाल उठाता है और कैसे यह विशाल ऋण बिना उचित निगरानी के वर्षों से चल रहे हैं, जबकि भूमि का स्वामित्व कानूनी रूप से अस्पष्ट है।


भ्रष्टाचार की बड़ी तस्वीर

जब इन खुलासों को एक साथ देखा जाता है, तो यह स्पष्ट होता है कि बालको के विनिवेश में धोखाधड़ी, कानूनी खामियाँ और कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार शामिल हैं। बड़े भूमि क्षेत्र—1136 एकड़ और अब 944 एकड़—जानबूझकर मूल्यांकन प्रक्रिया से बाहर रखे गए, जिससे कंपनी की विनिवेश के दौरान वास्तविक मूल्य को कम किया गया। इन्हीं जमीनों का बाद में हजारों करोड़ के ऋण के लिए उपयोग किया गया, जो सार्वजनिक संसाधनों के दुरुपयोग का एक गहन उदाहरण है।


निष्कर्ष: अभी और भी खुलासे होने बाकी हैं

यह कहानी का अंत नहीं है। भूमि प्रबंधन और भ्रष्टाचार के ये खुलासे केवल शुरुआत हैं। अब दो प्रमुख भूमि क्षेत्रों के सामने आने के बाद, और भी खुलासे किए जाएंगे । अगले लेख में हम बालको की संपत्तियों के साथ और भी घोटालों को उजागर करेंगे, जिसमें विशेष रूप से SCOPE कॉम्प्लेक्स की जांच शामिल होगी—जो कि एक और मूल्यवान संपत्ति है जिसे विवादों में लपेटा गया है।

जुड़े रहें, क्योंकि इस कॉर्पोरेट शोषण और सरकारी निगरानी की कहानी में और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आएंगे।


विशेष: हमारी टीम द्वारा अथक मेहनत और प्रयास कर तथ्यों का संचय कर लेख प्रकाशित किये जाते हैं, पाठकों के द्वारा हमारे प्रकाशन का, समाज में संचार ही  हमारी टीम के सत्य उजागर करने के प्रयासों को प्रेरणा देगा| पाठकों से अपेक्षा है कि प्रकाशित लेखों का संचार  करने में हमारी मदद करें|

Disclaimer (लेखक द्वारा प्रकाशित खबर सूत्रों एवं तथ्यों पर आधारित है, एवं कई तथ्यों का किसी अन्य भाषा से अनुवाद किया गया है ,यदि किसी व्यक्ति/समाज/संगठन को उपरोक्त लेख में कोई  शब्द/वाक्य आपत्तिजनक लगे तो वह हमें editor@media-samvad.com पर संपर्क कर विवरण भेज सकता है, भेजे हुए विवरण का प्रेस काउंसिल आफ इंडिया की मागदर्शिका अनुसार एवं  हमारे  सम्पादकीय दल द्वारा विश्लेषण एवं जांच उपरांत जांच रिपोर्ट प्रेषित किया जाएगा और जांच अनुसार  प्रकाशित लेख की पुनः विवेचना कर प्रकाशित किया जा सकेगा |

 
 
 

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