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जमीन से ऊपर: एक कंपनी का परलोकिक प्रबंधकीय कारनामा

  • Media Samvad Editor
  • Sep 3, 2024
  • 3 min read

सिक्के के दोनों पहलू एक समान –  बालको प्रबंधन की यही पहचान


कभी-कभी लगता है कि हमारे देश की कुछ कंपनियों का प्रबंधन धरती से ऊपर की दुनिया में विचरण करता है। कानून-विधान इनकी नजर में एक खिलौना हैं, जिसे जैसा चाहें मोड़ लें, और इस प्रबंधन के लिए सिक्के के दोनों पहलू हमेशा फायदेमंद ही होते हैं। जी हां, सही समझा आपने, बात हो रही है बाल्को की 'दिव्य' प्रबंधन टीम की।


अब सुनिए इनका नया परलोकिक कारनामा। यह कंपनी उन अधिकांश श्रमिकों को स्थायी कर्मचारी मानने से इंकार कर देती है जो सालों से फैक्ट्री में काम कर रहे हैं। इन श्रमिकों को ठेके के तहत काम पर रखा जाता है, ताकि कंपनी पर किसी तरह की जिम्मेदारी न आ सके। - यह सिक्के का एक पहलू है।


दूसरी तरफ, जब अनुशासन या अन्य कार्यवाही की बात आती है, तो यही कंपनी मौजूदा ठेकेदारों को उन श्रमिकों पर कार्यवाही करने के लिए मजबूर करती है, जिनकी सेवाएं पूर्व के ठेकेदार के अंतर्गत थीं। और इन ठेकेदारों को निर्देश दिए जाते हैं कि वे श्रमिकों की पुरानी सेवाओं के लिए जिम्मेदार हैं। - यह सिक्के का दूसरा पहलू है।


कोई फर्क नहीं पड़ता! सिक्के के हर पहलू से फायदा कंपनी के प्रबंधन को ही होना चाहिए।


इसे समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। प्रबंधन और प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, विजय दीनानाथ चौहान (काल्पनिक ) नाम का एक श्रमिक 2018-19 से 2023-24 तक A-कंपनी के तहत कार्यरत था। मार्च 2024 में A-कंपनी का ठेका समाप्त हो गया, और D-कंपनी विजय दीनानाथ चौहान का नया नियोक्ता बन गया।


अब, D-कंपनी विजय दीनानाथ चौहान को नोटिस जारी करती है कि वह 2018 से 2024 के बीच कई बार बिना सूचना के छुट्टी पर रहा, और उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। हैरानी की बात यह है कि D-कंपनी यह दावा करती है कि विजय दीनानाथ चौहान 2018 से ही D-कंपनी के लिए काम कर रहा है।


आश्चर्यचकित और भ्रमित विजय बैंक जाता है और उसे पता लगता है कि 2018 से 2024 तक का वेतन उसे D-कंपनी ने कभी दिया ही नहीं। अब सवाल उठता है: विजय दीनानाथ चौहान दोषी है या शोषण का शिकार? क्या D-कंपनी ने उससे चार साल तक जबरन काम कराया और एक पैसा भी नहीं दिया? और क्या उसका प्रॉविडेंट फंड भी हड़प लिया गया?


यह स्थिति विजय दीनानाथ चौहान को घोर उलझन में डाल देती है, जबकि D-कंपनी, प्रबंधन के लिए एक भाड़े के सैनिक की तरह काम कर रही है। भाड़े के सैनिक, जो कानून से नहीं बल्कि अपने मालिकों के प्रति वफादार होते हैं और उनके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।


अब तक की जानकारी के अनुसार, विजय दीनानाथ चौहान ने D-कंपनी और प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज करने का फैसला किया है। ये मुकदमे ज़बरन श्रम, मानसिक शोषण, प्रॉविडेंट फंड की चोरी और प्रबंधन की जिम्मेदारियों की अनदेखी के लिए किए गए हैं।

आने वाले समय में क्या होगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन अभी के लिए यह साफ है कि बाल्को प्रबंधन, एलियन्स से मुकाबला करने का अनुभव बटोर रहा है।

निष्कर्ष

विजय दीनानाथ चौहान द्वारा सामना की गई स्थिति केवल प्रबंधन की गलती या नौकरशाही की अनदेखी नहीं है; यह एक स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे बड़े कॉरपोरेट्स सिस्टम का दुरुपयोग करके श्रमिकों का शोषण करते हैं और कानून को अपने लाभ के लिए मोड़ते हैं। यह घटना इस बात पर गंभीर सवाल उठाती है कि वेदांता जैसी कंपनियां कितनी जिम्मेदार हैं और वे अपने श्रमिकों के साथ किस तरह का व्यवहार करती हैं, जिन्हें कानूनी और प्रशासनिक उलझनों के भंवर में फंसा दिया जाता है। अब समय आ गया है कि अधिकारी इस मामले में हस्तक्षेप करें और यह सुनिश्चित करें कि कानून श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करे, न कि सत्ता में बैठे लोगों द्वारा शोषण का साधन बने। यदि इस तरह की प्रथाओं पर लगाम नहीं लगाई गई, तो यह देश में श्रमिक अधिकारों के ताने-बाने को और कमजोर कर देगी, जिससे और अधिक श्रमिक आधुनिक कॉरपोरेट अत्याचार के शिकार बनते चले जाएंगे।


विशेष: हमारी टीम द्वारा अथक मेहनत और प्रयास कर तथ्यों का संचय कर लेख प्रकाशित किये जाते हैं, पाठकों के द्वारा हमारे प्रकाशन का, समाज में संचार ही  हमारी टीम के सत्य उजागर करने के प्रयासों को प्रेरणा देगा| पाठकों से अपेक्षा है कि प्रकाशित लेखों का संचार  करने में हमारी मदद करें| 

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