पूंजी की जय-जयकार – कहाँ गया मानवाधिकार
- Media Samvad Editor
- Jul 27, 2024
- 4 min read

पूंजी की जय-जयकार – कहाँ गया मानवाधिकार
प्रदेश के नामी-गिरामी उद्योग बालको/वेदांता के अधिकारियों का अपनी पूंजी की ताकत पर कुछ भी कर गुजरने का एक ज्वलंत मामला प्रकाश मे आया है|
बालको के अधिकारियों द्वारा उन समस्त जन-प्रतिनिधियों,सामाजसेवकों,श्रमिक-नेताओं,पत्रकारों,प्रशासनिक अधिकारियों को, जो बालकों प्रबंधन की कुनीतियों का मुखर विरोध करते हैं, को विलेन साबित करने मे कोई कसर नहीं छोड़ी जाती है| विडंबना यह है कि कुछ लोग अपने स्वार्थ-सिद्धि और डर की वजह से बालको प्रबंधन के इन कृत्यों में सहमति प्रदर्शित करते हैं|
चिराग तले अंधेरा
बालकों के नामी-गिरामी अधिकारी-गण, जन-प्रतिनिधियों और प्रशासन से अपने संबंधों को प्रदर्शित करने मे गौरवान्वित होते हैं, फिलहाल तो बालकों के अधिकारियों के प्रभाव का आलम यह है , कि श्रमिकों को संगठन बनाने के मूल अधिकार से भी वंचित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है| विडंबना यह है कि माननीय श्रम एवं उद्योग मंत्रीजी के गृह-जिले में ऐसा कृत्य होना “चिराग तले अंधेरा” जैसी कहावत को चरितार्थ करता है|
मौसेरे भाई
घटना के तथ्य ऐसे हैं कि बालकों के श्रमिक संगठनों की निष्क्रियता और बालकों प्रबंधन के कुछ अधिकारियों एवं एक विशेष श्रमिक संगठन के श्रमिक नेताओं( जिन पर कई संगीन अपराध पंजीबद्ध हैं) का अटूट सबंध देखकर, और इस कारण प्रताड़ित हो रहे श्रमिकों एवं कर्मियों ने श्री तेजस्वरी सिंह, जो कि कुनकुरी विधानसभा के लोकप्रिय एवं प्रतिष्ठित समाजसेवक हैं, के नेतृत्व में श्रमिक संगठन बनाने का निर्णय लिया, ताकि शासन के समक्ष वैधानिक प्रतिनिधित्व किया जा सके|
बालको प्रबंधन का मोह-जाल
श्रमिक संगठन का गठन करना, श्रमिकों का संविधान मे निहित मूल अधिकार है| एवं बालको प्रबंधन द्वारा दावा किया जाता है , कि उसके प्रतिष्ठानों में मानवाधिकारों का पूर्ण पालन किया जाता है| और इसका जोर-शोर से प्रचार प्रसार किया जाता है| यहाँ तक कि प्रशासनिक अधिकारी भी जानकारी के अभाव एवं बालकों अधिकारियों की बातों के मोह-जाल में उलझ-कर वेदांता को अन्य कंपनियों से बेहतर बताने की मुहिम मे शामिल हो जाते हैं| ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों की जानकारी के लिए वेदांता और अन्य कंपनियों के तुलनात्मक विवरण हमारे अन्य लेखों में प्रकाशित किए जा रहे हैं, ताकि जिस तुलना का मोह-जाल बालकों अधिकारियों द्वारा बुना गया है, उसकी जमीनी सत्यता का पता चल सके|
जब सैंया भए कोतवाल तब डर काहे का
श्रमिक संगठन के पंजीयन के आवेदन की खबर , प्रबंधन के अधिकारियों को प्राप्त होते ही, उनके द्वारा, अपने प्रभाव और शक्ति का दुरुपयोग कर संगठन के मुख्य पदाधिकारी श्री दिनेश सिंह को दीगर प्रांत स्थानांतरित करने का आदेश जारी कर दिया गया| जबकि कर्मियों के स्थानांतरण को लेकर विवाद स्थानीय संरधान अधिकारी के पास लंबित है, एवं प्रावधानों के अनुसार, विवाद पर सुनवाई के लंबित रहने पर, किसी भी कर्मी का स्थानांतरण, बिना संराधान अधिकारी की अनुमति के करना, अविधिक है| इसकी सूचना संरधान अधिकारी को भी दी गई, परंतु उनके द्वारा स्थानांतरण रोकने के लिए कोई आदेश प्रबंधन को जारी नहीं किया गया|
चोरी और ऊपर से सीना-जोरी
बात यहीं खत्म नहीं हुई, बालकों के एच आर अधिकारियों द्वारा श्रमिक संगठन के नेतृतवकर्ता को बुला कर धमकाया गया कि वो लिख कर दे कि वह किसी भी श्रमिक संगठन में नहीं रहेगा और श्रमिक संगठन का सृजन नहीं करेगा| यह खबर श्रमिक संगठन के अध्यक्ष श्री तेजस्वरी सिंह को प्राप्त होने पर उन्होनें पंजीयक , रायपुर, से चर्चा कर जानकारी दी| इसके बाद बालकों के अधिकारियों द्वारा श्री तेजस्वरी सिंह को श्रमिक संगठन से कुछ पदाधिकारियों को हटाने की हिदायत दी गई, जिस पर श्री तेजस्वरी सिंह द्वारा इंकार कर दिया गया| तदुपरांत श्री तेजस्वरी सिंह द्वारा पंजीयक, रायपुर को पत्र प्रेषित कर, तीन दिन के भीतर पंजीयन न करने के कारण का लिखित उत्तर देने हेतु कहा गया है| प्रेषित पत्र मे पंजीयक पर, पंजीयन में जानबूझ कर देरी करने और बालकों के अधिकारियों द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार हनन के कृत्यों को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया गया है|
मानवाधिकार – सिर्फ एक विचार
फिलहाल तो मानवाधिकारों को जड़ से समाप्त करने की मुहिम में बालकों प्रबंधन जोर-शोर से लगा हुआ है, और एक विशेष श्रमिक संगठन के पदाधिकारियों द्वारा इसका जश्न भी मनाया जाने की सूचना प्राप्त हुई है, यह बात अलग है कि श्री तेजस्वरी सिंह द्वारा प्रेषित पत्र अनुसार इस बार शासन के श्रम-विभाग का प्रत्यक्ष समर्थन और आशीर्वाद इस घिनौने कृत्य मे झलकता है|
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