3199 करोड़ का बोझ: सरकारी नोटिसों पर अटक गया न्याय, बड़ी कंपनी की दंड राशि वसूली में देरी
फुटबाल का खेल विश्व का सबसे लोकप्रिय खेल माना जाता है, और हर किसी को यह पता है कि फुटबाल के खेल में पेनाल्टी शूट का मतलब विपक्षी टीम के लिए सबसे बड़ा खतरा होता है|
कल्पना कीजिए की यदि ऐसी कोई टीम हो, जो पेनाल्टी से बिल्कुल न डरती हो और खुल कर फ़ाउल करती हो और रेफरी द्वारा पेनाल्टी दिए जाने के बाद भी बिना कोई चिंता किए, पेनाल्टी से बच भी जाती हो और फ़ाउल करने और गंदे खेल में बेखौफ आगे बढ़ती जाती हो |
शायद आपको ऐसी टीम विश्व में देखने को नहीं मिलेगी| क्योंकि फुटबाल तो नियमों का खेल है, और ज्यादा पेनाल्टी होने पर टीम को खेलने से बैन कर दिया जाता है, परंतु वास्तविक जीवन में ऐसा नहीं होता है, फुटबाल की पेनाल्टी और राजस्व की पेनाल्टी दोनों मे जमीन-आसमान का अंतर है, कारपोरेट के खेल मे एक टीम जरूर ऐसी है जो पेनाल्टी झेलने की रिकार्ड-तोड़ हिम्मत रखती है, और रेफरी भी इस टीम के खेल के सामने विवश है|
हालांकि पाठक-गण चॅम्पियन टीम के बारे में अवगत हैं परंतु आज चैंपियन टीम के पेनाल्टी प्रूफ होने के बारे मे कुछ तथ्य प्रकाशित हैं|
वेदांता समूह के प्रबंधकीय नियंत्रण की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड(बालको) , जिसमें भारत सरकार की 49% हिस्सेदारी है|
इस कंपनी के ऊपर सरकारी विभागों (जीएसटी, राजस्व, इनकम टैक्स, वन विभाग, माइनिंग इत्यादि ) द्वारा लगभग 3199 करोड़ रुपये की पेनाल्टी अधिरोपित है| परंतु दिलचस्प बात यह है कि इस कंपनी द्वारा पेनाल्टी को न्यायालयों में चुनौती देने के बाद, संबंधित विभाग को पत्र लिख कर जानकारी दे दी जाती है, कि मामला माननीय न्यायालय में लंबित है |इससे भी अधिक दिलचस्प बात यह है कि कई विभाग एक पेनाल्टी वसूल कर नहीं पाते हैं और उनकी दूसरी पेनाल्टी भी माननीय न्यायालय में लंबन के लिए चली जाती है|
यह बात अलग है कि बालको कंपनी की ऑडिट रिपोर्ट में माननीय न्यायालयों से मिलने वाले स्टे आर्डर/राहत का कोई उल्लेख नहीं किया गया है|
क्या सरकारी राजस्व से संबंधित किसी भी सरकारी नोटिस का मात्र न्यायालय में लंबित होना, राजस्व वसूली नोटिस की तमिली को रोकने हेतु पर्याप्त है?
क्या सरकारी राजस्व के नोटिस जारी करने वाले विभाग, बिना वजह एक नामी-गिरामी कंपनी को परेशान करते हैं?
क्या नोटिस जारी करने वाले अधिकारी-गण सरकारी राजस्व को होने वाले नुक्सान में इस कंपनी के कृत्यों मे अप्रत्यक्ष भागीदार हैं?
क्या वन-भूमि पर अवैध कब्जे का प्रकरण माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लंबित होने पर भी सरकार द्वारा उक्त भूमि पर निर्माण की अनुमति देना वैध है?
उपरोक्त कुछ प्रश्न तथ्यों से उत्पन्न होते हैं, परंतु फिलहाल तो स्तिथि ऐसी है कि 35 टन कोयले की रायल्टी पर 41 टन कोयला की खरीद एवं परिवहन से एक अन्य कोयला स्कैम का वृक्ष फलीभूत हो रहा है, और शायद खनिज विभाग के अधिकारी इस वृक्ष को खाद –पानी डालते हुए, मजबूत कर रहे हैं| या फिर खनिज विभाग द्वारा जारी एक और पेनाल्टी अनंत लंबन काल मे चली जाएगी|
बालको कंपनी के अधिकारियों को खुली छूट और उनकी मनमानी पर लगाम लगाना अति आवश्यक है, अन्यथा क्षेत्र की बहुमूल्य संपदा, शांति और सद्भाव को अपूर्णीय नुक्सान पहुँचने की पूरी संभावना बन चुकी है|
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