प्रश्न , उत्तर , तथ्य सब विद्यमान परन्तु कार्यवाही का नहीं नाम-निशान
मेरा भारत महान , के वजूद को स्थापित और पुल्केषित करने का संस्कार और शिक्षा हमारे माता-पिता एवं गुरुओं और शिक्षकों द्वारा हमें बचपन से ही दी जाती है और हमें इन संस्कारों और शिक्षा को आगे आने वाली पीढ़ियों में संचारित करने की जिम्मेदारी भी दी जाती है|
परन्तु क्या हम भारत के महान होने के वजूद को पुल्केषित कर पा रहे हैं, या सिर्फ एक वाक्य के रूप में इसका प्रचार कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जा रहे हैं|
हमारे देश की सबसे बड़ी शक्ति हमारा लोकतंत्र है, और लोकतांत्रिक तरीके से सामाजिक, आर्थिक, भ्रष्टाचार और अन्य क्षेत्रों की समस्या/अनियमितता/अपराधों को रखने की लोकतांत्रिक परंपरा, हमें अन्य देशों की तुलना में एक सम्मानित पहचान देती है|
लोकतांत्रिक परंपरा एवं व्यवस्था के अनुरूप किसी भी मुद्दे को , देश के लोकतंत्र के मंदिर में यदि रखा जाता है , तो उसकी गंभीरता का एहसास पूरे देश को होता है| परन्तु क्या उठाये गए मुद्दों, प्रश्नों और उस पर सरकार द्वारा प्रस्तुत उत्तरों एवं तथ्यों के सार्वजनिक होने पर भी लोकतांत्रिक ढांचे के रक्षक के रूप में निर्वाचित अथवा सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी कार्यवाही कर पाते हैं , आखिर जमीनी सत्यता क्या है?
जमीनी सत्यता पर प्रकाश डालने हेतु कुछ तथ्य प्रस्तुत हैं:
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले स्थित प्रतिष्ठान, बाल्को जो कि एक निजी बहुराष्ट्रीय कंपनी के द्वारा संचालित है और इस संस्थान में भारत सरकार की 49% हिस्सेदारी है, इस संस्थान के प्रबंधन और विवादों का चोली – दामन का साथ रहा है|
प्रदेश की राज्यसभा सांसद रहीं सुश्री सरोज पाण्डेय द्वारा बालको प्रबंधन के द्वारा भारत सरकार को दिए जाने वाले मुनाफे की हिस्सेदारी के संदर्भ में, प्रश्न संख्या 2522,के तहत राज्यसभा में प्रश्न किया था|
इस प्रश्न का उत्तर, संख्या 2523 के माध्यम से केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री प्रहलाद जोशी द्वारा दिया गया|
क्रमांक | वित्तीय वर्ष | मुनाफा/नुकसान (करोड़ में) | भारत सरकार को दिया गया लाभांश |
1 | 2021-22 | 2736 | NIL |
2 | 2020-21 | 1050 | NIL |
3 | 2019-20 | (-)117 | NIL |
4 | 2018-19 | 573 | NIL |
5 | 2017-18 | 171 | NIL |
उपरोक्त दिए गए उत्तर में उल्लेखनीय है कि कोविड काल में कंपनी का मुनाफा (आपदा में अवसर)
पुनः अगस्त 3, 2022 को सुश्री सरोज पाण्डेय द्वारा राज्यसभा में शून्य काल में मुद्दा उठाया एवं इस विषय से कई सांसदों ने अपने आपको सम्बद्ध किया, जिसमें श्रीमती फूलो देवी नेताम (छत्तीसगढ़), DR. AMAR PATNAIK (Odisha),DR. FAUZIA KHAN (Maharashtra),DR. SANTANU SEN (West Bengal), SHRI SANJAY SINGH (National Capital Territory of Delhi), SHRI ABIR RANJAN BISWAS (West Bengal) DR. SASMIT PATRA (Odisha) शामिल हैं|
देश के विभिन्न प्रान्तों एवं विभिन्न राजनितिक दलों से संबंधित सांसदों द्वारा विषय की गंभीरता को समझते हुए, अपने आप को विषय-वस्तु से सम्बद्ध किया|
सुश्री सरोज पाण्डेय द्वारा उठाये गए विषय एवं जाँच एवं कार्यवाही की मांग निम्न थी:
Alleged irregularities in the functioning of BALCO in Korba district of Chhattisgarh
सुश्री सरोज पाण्डेय (छत्तीसगढ़) : माननीय सभापति महोदय, मैं आज आपके माध्यम से छत्तीसगढ़ के कोरबा में भारत एल्युमिनियम कंपनी की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ । भारत एल्युमिनियम कंपनी आज भारत देश की सबसे महत्वपूर्ण कंपनी है और सबसे बड़े उत्पादक में उसकी गिनती होती है। वर्ष 2000 म भारत की विनिवेश नीति के तहत स्टरलाईट कंपनी को इस कंपनी का 51 प्रतिशत हिस्सा बेच दिया गया था। आज उसकी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत है। मैं कहना चाहती हूँ कि, जब यह 51 प्रतिशत इस कंपनी के पास पहुंचा , तब इसका उत्पादन एक लाख टन था और आज 5 लाख टन उत्पादन होने के बाद भी यह कंपनी वहाँ के स्थानीय लोग के साथ अन्याय कर रही है। जब इस कंपनी का विस्तार हुआ, तब विस्तार के लिए जो जमीन ली गई, उस जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विषय लंबित है। इन्होनें स्थानीय शासन को अंधेरे में रख कर जमीन का आबंटन कराया। मैं सरकार से माँग करना चाहती हूँ कि इन्हें जो जमीन का आबंटन किया गया है, वहां के स्थानीय शासन के द्वारा जो अनुमति दी गई, वह अनुमति अवैध तौर पर ही गई है, स्थानीय लोग को उसका कोई लाभ नहीं हो रहा है, इसलिए इस कंपनी की जाँच होनी चाहिये इसक साथ ही साथ वहा पर जो स्थानीय लोग ह, यह उनको आई.टी.आई के तहत प्रशिक्षण देता है, लेकिन प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें काम पर नहीं रखा जाता है। उन्हें काम पर से हटा दिया जाता है। वहा पर जो दैनिक कार्य होता है , उन दैनिक कार्य को भी इसने निजी ठेके पर दिया हुआ है। वहां पर सीएसआर के तहत इस जो काम करना चाहिये , उसके संबंध में यह बार-बार ऑडिट रिपोर्ट में अपनी कंपनी को घाट में दर्शाता है। मैं यह जानना चाहती हूँ कि एक लाख टन से बढ़ कर पाँच लाख टन उत्पादन होने के बाद भी आखिर यह कंपनी घाटे में कैसे है? अगर पाँच लाख टन उत्पादन होने के बाद भी यह कंपनी लगातार घाटे में है, तो सरकार इसकी जाँच करे । सर, मैं आज सरकार से यह अनरोध करती हूँ कि 'बाल्को' के द्वारा की गई अनियमितताओं की तत्काल जाँच होनी चाहिए और उन पर एक्शन होना चाहिए , धन्यवाद।
उपरोक्त विषय की गंभीरता इस तथ्य से भी स्थापित होती है, कि इस विषय को आठ राज्यसभा सांसदों द्वारा सदन में रखा गया है और देश के प्रत्येक राज्यसभा सांसद की सरल अंक में प्रतिनिधित्व की बात करें तो एक राज्यसभा सांसद लगभग साठ लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, और सरल शब्दों में उपरोक्त विषय देश के लगभग पांच करोड़ लोगों का विषय है|
उपरोक्त तथ्यों पर कुछ मूल प्रश्न उठना स्वाभाविक है :
क्या देश के आठ सांसदों/पांच करोड़(लगभग) लोगों के विषय को गंभीरता से लिया गया?
आंकड़े/तथ्य सब होने के बाद भी क्या कार्यवाही हुई?
क्या कार्यवाही की सूचना सांसदों को दी गई?
इन प्रश्नों के उत्तर अभी तक अप्राप्त हैं | उम्मीद है कि लोकतंत्र के मूल ढाँचे के रक्षकों को कहीं, अर्थतंत्र के अवतार की लंका के सोने का दीमक न लगा हो, ताकि मेरे महान भारत देश का लोकतंत्र सिर्फ वाक्य नहीं
एक सोच/पहचान/सिद्धांत के वजूद में स्थापित रहे|
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