top of page
Search

बंद होगी चोटिया खदान, नोटिस जारी

  • Media Samvad Editor
  • Jun 14, 2024
  • 3 min read

भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड , कोरबा के द्वारा माह अप्रैल , वर्ष 2015 में, कोरबा जिले की चोटिया स्थित कोयला खदानों को वर्ष 2034 तक भारत सरकार द्वारा लीज पर लिया गया था |

गौर तलब है कि बालको कंपनी के  प्रबंधन का संचालन  वेदांता नामक निजी कंपनी के द्वारा किया जाता है , एवं भारत सरकार की इस कंपनी में 49% हिस्सेदारी है |


चोटिया में दो कोयला खदाने हैं जिनका प्रचलित नाम चोटिया-1 एवं चोटिया-2 है|

तथ्यात्मक यह लेख है कि चोटिया-1 खदान से कोयले का खनन कर , मात्र 10 माह में इस खदान का कोयला निकाल कर उपयोग कर लिया गया | चोटिया खदानों के भू-विस्थापितों को बालको के कर्मियों से अत्यंत कम वेतन पर नियोजित कर उन्हें बालको के नियमित कर्मियों को मिलने वाले लाभों से वंचित कर दिया गया| चोटिया खदान के कर्मियों के श्रमिक संघों के विरोध के बाद भी प्रतिनिधि श्रमिक संघ  की सहमति एवं अधिकारों से अनजान मूल – निवासियों से एक आशय – पत्र हस्ताक्षरित करवा कर, सारे खदान कर्मियों(भू-विस्थापितों ) को बालको कर्मियों के लिए हुए समझौते की  परिधि से बाहर  क़र दिया गया था |


वर्ष 2018, माह अक्तूबर , में चोटिया-2 का खनन कार्य प्रारम्भ किया गया, परन्तु दो वर्ष उपरान्त वर्ष 2020 , माह अक्तूबर में खनन कार्य रोक दिया गया एवं श्रमिक संघों को खनन लागत का अधिक होने का कारण प्रबंधन द्वारा अनौपचारिक रूप से बताया  गया | तदुपरांत  खदान कर्मियों के समक्ष स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना , प्रबंधन द्वारा लागू की  गई, एवं कर्मियों को यह प्रदर्शित किया गया की खदान बंद हो चुकी है , अतः इस योजना के तहत सेवानिवृति की सहमती प्रदान करें|


गौर तलब है कि स्वैच्छिक सेवानिवृति  योजना भी बालको कर्मियों के लिए लागू स्वैच्छिक सेवानिवृति  योजना से अक्षुण कर लागू की गई |

भोले-भाले भूविस्थापितों एवं अन्य कर्मियों द्वारा इस योजना में सहमती दिखाई गई एवं लगभग 121  कर्मियों को इस योजना के तहत कार्य से पृथक कर दिया गया|


प्रबंधन द्वारा  दादागिरी और तानाशाही की पराकाष्ठा की परंपरा को प्रदर्शित करते हुए , जिन कर्मियों ने, उपरोक्त योजना में सहमति नहीं दी थी , उनका स्थानान्तरण देश के विभिन्न प्रदेशों  में कर दिया गया , परन्तु स्थानीय जन-प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की पहल पर इन कर्मियों का स्थानान्तरण बंद पड़े बालको केप्टिव पावर प्लांट , दर्री में कर दिया गया, परन्तु उन पर बालको कर्मियों का वेतन समझौता लागू नहीं किया गया , और उनके द्वारा विरोध करने पर कई कर्मियों को निलंबित कर दिया गया|


प्रबंधन द्वारा अपनी पूंजीपति नीतियों को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2022, माह  सितम्बर में पुनः खदान संचालन प्रारम्भ करते हुए , कोयला खनन एवं ढुलाई के कार्य को ठेका कंपनी धनसार को दे दिया गया, जिसके द्वारा भूविस्थापितों से ठेका कर्मी के रूप में कार्य करवाया गया|


आज की ताजा खबर है कि उपरोक्त ठेका कंपनी द्वारा नोटिस जारी कर 31/07/2024 को खनन कार्य समाप्त होने की सूचना  दे दी गई है | और कर्मियों को सेवामुक्त करने का नोटिस जारी कर दिया गया है|


विश्वसनीय सूत्रों की माने तो देश के एवं प्रदेश के अत्यंत लोकप्रिय और अच्छी राजनीतिक पहुँच रखने वाले श्रमिक नेता उपरोक्त कार्य में वेदांता प्रबंधन के साथ मिल कर कार्य कर रहे हैं|


जिले के जिम्मेदार अधिकारियों, श्रमिक संगठनों और  जन-प्रतिनिधियों की भी इस मामले में चुप्पी सोचनीय विषय है|


जिले के श्रमिकों/कर्मियों  और स्थानीय निवासियों के मन में यह प्रश्न तो जरूर है , परन्तु मुखर होकर बोलने से कहीं हाईकमान नाराज मत हो जाएँ|

 
 
 

Comments


Subscribe to Our Newsletter

Thanks for submitting!

  • White Facebook Icon

© 2035 by Media Samvad. Powered and secured by Wix

मीडिया संवाद पत्रिका  
वेब पोर्टल 

​संचालक:राधेश्याम चौरसिया 

​RNI No. CHHHIN/2011/43442

bottom of page